हौसले के साथ में आगे बढ़ो।
फासले इतने न अब पैदा करो।
जिन्दगी तो है हकीकत पर टिकी,
मत इसे जज्बात में रौंदा करो।
चाँद-तारों से भरी इस रात में,
उल्लुओं सी सोच मत रक्खा करो। बुलबुलों से ज़िन्दगी की सीख लो,
राग अंधियारों का मत छेड़ा करो।
उलझनों का नाम ही है जिन्दगी,
हारकर, थककर न यूँ बैठा करो।
छोड़कर शिकवें-गिलों की बात को,
मुल्क पर जानो-जिगर शैदा करो।
खूबसूरत दिल सजा हर जिस्म में,
“रूप” पर इतना न मत ऎंठा करो।
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ग़ज़ल -सतपाल ख़याल
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आंख में तैर गये बीते ज़माने कितने
याद आये हैं मुझे यार पुराने कितने
चंद दानों के लिए क़ैद हुई है चिड़िया
ए शिकारी ये तेरे जाल पुराने कितने
ढल गया दर्द मे...
4 weeks ago
4 comments:
शानदार रचना।
बेहतरीन रचना ।
बेहतरीन रचना ।
बहुत बढ़िया रचना । मेरी ब्लॉग पर आप का स्वागत है ।
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