सियासत आज की देखो ज़ब्तशुदा है , हर पार्टी ही रखे करिश्माई अदा है . औलाद कहीं बेगम हैं डोर इनकी थामे , जम्हूरियत इन्हीं के क़दमों पे फ़िदा है . काबिल हैं सभी इनमे ,है सबमें ही महारत , पर घंटी बांधने को बस एक बढ़ा है . इल्ज़ाम धरें माथे ये अपने मुखालिफ के , पर रूप उनसे इनका अब कहाँ जुदा है . आगे न इनसे कोई ,पीछे न खड़ा कोई , पर वोट-बैंक इनका अकीदत से बंधा है .
बाहर भी बैठते हैं ,भीतर भी बैठते हैं , मुखालफ़त का जिम्मा इनके काँधे लदा है . जादू है ये सियासत अपनाई सब दलों ने , ''शालिनी'' ही नहीं सबको लगती खुदा है .
ग़ज़ल -सतपाल ख़याल
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आंख में तैर गये बीते ज़माने कितने
याद आये हैं मुझे यार पुराने कितने
चंद दानों के लिए क़ैद हुई है चिड़िया
ए शिकारी ये तेरे जाल पुराने कितने
ढल गया दर्द मे...
मेरा वज़ूद ऐसा है !
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[image: rg]
मेरे दुश्मन को है खलता , मेरा वज़ूद ऐसा है ,
गिराने से नहीं गिरता , मेरा वज़ूद ऐसा है !
दिलों में बस गया है जो ,फकत इक नाम ऐसा है ,
मिटाने से नहीं ...
दज्जाल के रंगरूट
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दज्जाल आया। मुल्क तबाह किए। कठपुतली सरकारें बिठाईं और चल दिया। जाने से पहले
रंगरूट भर्ती किए उन्हें ट्रेनिंग दी। वे रंगरूट ट्रेनिंग पाकर पुरानी सरकार
के सम...
आओ, सब मिलकर बस प्यार करें.
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कुल्लु नफ्सिन ज़ायक़तुल मौत -आल-क़ुर्'आन
हर जान को मौत का ज़ायक़ा चखना है.
और
इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैहि राजिऊन.
हम सब अल्लाह के हैं और हमें उसी की तरफ लौ...
कौन इसकी परवाह करे
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*मेरा हबीब है रकीब के जैसा *
*कौन मुझे आगाह करे*
*दिल का मसला ज़ालिम के जैसा *
*कौन इसकी परवाह करे *
*परवाना जल के मर जायेगा *
*कौन उसे आगाह करे *
*इश्क क...