एक तन्ज़ एक हक़ीक़त
किसी लड़की को आप रात गए किसी पब से या सिनेमा हॉल से निकलते देखें
या दिन दहाड़े किसी पार्क या खंडहर में किसी के साथ घुसते देखें तो
आप उसे आवारा या बदचलन मत कह देना
क्योंकि वह पढ़ी-लिखी है, समझदार है, जवान है, बालिग़ है
और तरक्क़ी कर रही है
वह ख़ुद को कितना भी सजाए,
अपना कुछ भी दिखाए,
चाहे ज़माने भर को रिझाए
चाहे उसकी आबरू ही क्यों न लुट जाए
आप उसे कभी ग़लत न कहना
दोष सिर्फ़ लड़कों को, समाज को, पुलिस और नेताओं को देना
ऐसा करके आप इज़्ज़त पाएंगे
समाज का चलन उल्टा है
सच से इसे बैर है।
आप सच कहेंगे तो ज़माना आपका दुश्मन हो जाएगा
जड़ों को पानी देकर यह शाख़ें कतरता है