रफ़्तार जिंदगी में सदा चलके पायेंगें.
बैठे अगर उदास कहीं टूट जायेंगें,
इस दिल में जोश भरके ही कुछ ढूंढ पायेंगें.
ये जिंदगी देती हमें कई राहें निरंतर ,
पाएंगे मंजिल इनपे गर हम बढ़ते जायेंगें.
न देखना मुड़कर कभी भूले से भी पीछे,
राहों के पत्थर रोकने को रोज़ आयेंगें .
बढ़ना है जिंदगी में अगर तुमको ''शालिनी''
ऐसे ख्याल दिल में तेरे खूब आयेंगे.
शालिनी कौशिक
[कौशल]
7 comments:
Waah...
सबका भला हो, आमीन !!!
न देखना मुड़कर कभी भूले से भी पीछे,
राहों के पत्थर रोकने को रोज़ आयेंगें ...motivating. waaaaaaaaaaaaaaah.
भावो का सुन्दर समायोजन......
बहुत ख़ूब!
आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 30-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-956 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
वाह.....
बहुत बढ़िया गज़ल....
अनु
बहुत सुंदर, उत्साहवर्धक रचना !:-)
रफ़्तार जिंदगी में सदा चलके पायेंगें.....
बहुत बढ़िया
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