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मुशायरा::: नॉन-स्टॉप

Saturday, July 28, 2012

रफ़्तार जिंदगी में सदा चलके पायेंगें.



Sky is the limit

लम्हे कभी फुर्सत के हमें मिल न पायेंगें,
रफ़्तार जिंदगी में सदा चलके पायेंगें.

बैठे अगर उदास कहीं टूट जायेंगें,
इस दिल में जोश भरके ही कुछ ढूंढ पायेंगें.

ये जिंदगी देती हमें कई राहें निरंतर ,
पाएंगे मंजिल इनपे गर हम बढ़ते जायेंगें.

न देखना मुड़कर कभी भूले से भी पीछे,
राहों के पत्थर रोकने को रोज़ आयेंगें .

बढ़ना है जिंदगी में अगर तुमको ''शालिनी''
ऐसे ख्याल दिल में तेरे खूब आयेंगे.

                           शालिनी कौशिक 
                                       [कौशल]




7 comments:

DR. ANWER JAMAL said...

Waah...
सबका भला हो, आमीन !!!

Kunwar Kusumesh said...

न देखना मुड़कर कभी भूले से भी पीछे,
राहों के पत्थर रोकने को रोज़ आयेंगें ...motivating. waaaaaaaaaaaaaaah.

sushmaa kumarri said...

भावो का सुन्दर समायोजन......

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत ख़ूब!
आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 30-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-956 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह.....
बहुत बढ़िया गज़ल....

अनु

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

बहुत सुंदर, उत्साहवर्धक रचना !:-)

Vandana Ramasingh said...

रफ़्तार जिंदगी में सदा चलके पायेंगें.....

बहुत बढ़िया