Pages

मुशायरा::: नॉन-स्टॉप

Wednesday, July 4, 2012

शाम को जिस वक्त ख़ाली हाथ घर जाता हूं मैं

मुरादाबाद में डा. भीम राव अंबेडकर ऑडिटोरियम में मासूम नहटौरी फ़ाउंडेशन के ज़ेरे अहतमाम एमपी ज़फ़र अली नक़वी की सदारत में एक कुल हिंद मुशायरे का आयोजन किया गया। ख़ुसूसी मेहमान के तौर पर उत्तराखंड के गवर्नर जनाब अज़ीज़ क़ुरैशी भी तशरीफ़ फ़र्मा थे। इस मौक़े पर मशहूर शायरों के कुछ पसंदीदा शेर पेश ए खि़दमत हैं-

छुपाना चाहूं तो ख़ुद को छुपा नहीं सकता
तिरी निगाह के आगे कितना बेबस हूं मैं
-वसीम बरेलवी

उसके ज़हनो दिल पे काविश थीं हवस की आंधियां
पास आया तो मेरी पाकीज़गी से डर गया
-डा. सरिता शर्मा

मिरी निगाह बदन पे ठहर गई वर्ना
वो अपनी रूह मेरे नाम करने वाला था
-मुकेश अमरोहवी

शाम को जिस वक्त ख़ाली हाथ घर जाता हूं मैं
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और मर जाता हूं मैं
-राजेश रेड्डी

दिया साथ हमने ख़ुशी का भी कभी ग़म के साथ हो लिए
तिरा नाम आया तो हंस लिए तिरी याद आई तो रो लिए
-मुमताज़ नसीम

3 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर!
शेअर करने के लिए आभार!

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत बेहतरीन...
:-)

Kunwar Kusumesh said...

good