( यह "कलाम-ए-रमज़ान" इस लिंक पर सुना भी जा सकता है : http://www.box.net/shared/i9lgzodaylaa58ioqhqk )
रमज़ां का महीना है, शान इसकी निराली है
इस महीने में भर जाती, हर वो झोली, जो ख़ाली है
रमज़ां का महीना है.....
मस्जिद में सभी मोमिन, मशग़ूल-ए-इबादत हैं
कुछ सजदे में हैं, तो कुछ, कर रहे तिलावत हैं
दरबार-ए-इलाही में, हर बन्दा सवाली है
इस महीने में भर जाती, हर वो झोली, जो ख़ाली है
रमज़ां का महीना है.....
हर मोमिन के घर में, अल्लाह की रहमत है
हर शय में हुई अब तो, बरकत ही बरकत है
हर छोटे-बड़े ने लौ, अल्लाह से लगा ली है
इस महीने में भर जाती, हर वो झोली, जो ख़ाली है
रमज़ां का महीना है.....
बाज़ारों भी देखो, रौनक़ बड़ी छाई है
करने को ख़रीदारी, ख़लक़त चली आई है
ताजिरों ने भी अपनी, दूकान सजा ली है
इस महीने में भर जाती, हर वो झोली, जो ख़ाली है
रमज़ां का महीना है..... ।
(---मुईन शमसी)
Source : http://moinshamsi.blogspot.in/2011/08/ramzaan-ka-maheena-hai-all-rights-are.html