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मुशायरा::: नॉन-स्टॉप

Wednesday, September 28, 2011

एक कतआ ....ड़ा श्याम गुप्त....

गौरैया हमारे दर
वो आये हमारे दर इनायत हुई ज़नाब |
आये  बाद बरसों  आये  तो  ज़नाब |
इस मौसमे-बेहाल में बेहाल आप हैं -
मुश्किल से मयस्सर हुए दीदार ऐ ज़नाब ||

आये बाद बरसों

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