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मुशायरा::: नॉन-स्टॉप

Saturday, September 17, 2011

कभी न छोटा समझें ......डा श्याम गुप्त

   (एक षट्पदी अगीत )

दुश्मन को पद-दलित धूलि को,
अग्नि,पाप, ईश्वर व सर्प को;
कभी न छोटा करके समझें |
इनके बल, गुण, कर्म भाव का,
नहीं  कभी  भी   अहंकार वश;
करें   उपेक्षा,    असावधानी ||

7 comments:

सागर said...

bhaut hi sundar....

रविकर said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||

आपको हमारी ओर से

सादर बधाई ||

Anamikaghatak said...

gagar me sagar bhar diya aapne...badhiya

sushmaa kumarri said...

बेहतरीन......

डा श्याम गुप्त said...

धन्यवाद सागर, रविकर अनाजी व सुषमा जी.....

Arun sathi said...

सारगर्भित..सही कहा

shyam gupta said...

धन्यवाद अरुण जी.....