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मुशायरा::: नॉन-स्टॉप

Tuesday, July 19, 2011

ग़म से मोहब्बत

तर्क ए मोहब्बत पर भी होगी उनकी  नदामत हम से ज़्यादा
किसने की हैं कौन करेगा उनसे मोहब्बत हम से  ज़्यादा
कोई तमन्ना कोई मसर्रत दिल के करीब आने ही ना दी

किसने की है  इश्क़  में यारों
ग़म से मोहब्बत हम से  ज़्यादा
शब्दार्थ : 
तर्क ए मोहब्बत-मोहब्बत छोड़ देना  , मसर्रत-ख़ुशी

The flower of jannah एक मासूम कली हमारे आंगन में खिली, हमारे घर को महकाया और फिर जन्नत का फूल बन गई।

12 comments:

Kunwar Kusumesh said...

अच्छा लिखा.

Saleem Khan said...

khoobsurat ashaar

नीरज गोस्वामी said...

वाह...बेहतरीन...
नीरज

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी प्रवि्ष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!

Vivek Jain said...

बहुत सुंदर,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... गज़ब के शेर हैं ..

Shalini kaushik said...

बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति.कृपया ''नदामत''के अर्थ भी बताएं.

Shikha Kaushik said...

अशआर के नीचे लिखी पंक्ति ने दिल को झंकझोर दिया है .

DR. ANWER JAMAL said...

नदामत का अर्थ है शर्मिंदगी !
अशआर के नीचे एक लाइन जिस वाक़ये से मुताल्लिक़ लिखा है, वह पिछले साल 22 जुलाई को पेश आया था। अब दो दिन बाद फिर 22 जुलाई आने वाली है। मैं अपनी बेटियों से प्यार करता हूं। अनम आज भी याद आती है तो आंखें भर आती हैं। वह इस संसार में कुल 28 दिन ज़िंदा रही। उसने बड़ी हिम्मत से ‘स्पाइना बिफ़िडा‘ के फ़ोड़े की तकलीफ़ को झेला और इतने बड़े ज़ख्म के बावजूद उसने हमें परेशान नहीं किया। वह तो रोती तक न थी। मैं अपने हाथों से सुबह शाम दो वक्त उसकी ड्रेसिंग किया करता था।
बहरहाल वह हमें याद आती है लेकिन उसके हक़ में यही बेहतर था।
हमारा रब हमें उससे फिर मिला देगा, इंशा अल्लाह !

Shalini kaushik said...

अनवर जी आपने अपना दुःख हमें बताया वास्तव में ये लगा की हम सभी एक परिवार के सदस्य हैं हमें भी ये जानकर बहुत दुःख हुआ. खुदा आपकी ये इच्छा अवश्य पूरी करेगा.हम सभी आपके दुःख में आपके पूरी तरह से साथ हैं .

DR. ANWER JAMAL said...

@ शालिनी जी ! शुक्रिया ।
आप इस बारे में मज़ीद जानकारी के लिए देखिए मेरी यह पोस्ट
कितने ही लोग अपने होने वाले बच्चों को मात्र इस कारण से मार डालते हैं कि वे अपाहिज क्यों हैं ?

डा श्याम गुप्त said...

अच्छा कतआ ....