हम से![]() |
The flower of jannah एक मासूम कली हमारे आंगन में खिली, हमारे घर को महकाया और फिर जन्नत का फूल बन गई। |
ग़ज़ल -सतपाल ख़याल
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आंख में तैर गये बीते ज़माने कितने
याद आये हैं मुझे यार पुराने कितने
चंद दानों के लिए क़ैद हुई है चिड़िया
ए शिकारी ये तेरे जाल पुराने कितने
ढल गया दर्द मे...
4 weeks ago
12 comments:
अच्छा लिखा.
khoobsurat ashaar
वाह...बेहतरीन...
नीरज
आपकी प्रवि्ष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!
बहुत सुंदर,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत खूब ... गज़ब के शेर हैं ..
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति.कृपया ''नदामत''के अर्थ भी बताएं.
अशआर के नीचे लिखी पंक्ति ने दिल को झंकझोर दिया है .
नदामत का अर्थ है शर्मिंदगी !
अशआर के नीचे एक लाइन जिस वाक़ये से मुताल्लिक़ लिखा है, वह पिछले साल 22 जुलाई को पेश आया था। अब दो दिन बाद फिर 22 जुलाई आने वाली है। मैं अपनी बेटियों से प्यार करता हूं। अनम आज भी याद आती है तो आंखें भर आती हैं। वह इस संसार में कुल 28 दिन ज़िंदा रही। उसने बड़ी हिम्मत से ‘स्पाइना बिफ़िडा‘ के फ़ोड़े की तकलीफ़ को झेला और इतने बड़े ज़ख्म के बावजूद उसने हमें परेशान नहीं किया। वह तो रोती तक न थी। मैं अपने हाथों से सुबह शाम दो वक्त उसकी ड्रेसिंग किया करता था।
बहरहाल वह हमें याद आती है लेकिन उसके हक़ में यही बेहतर था।
हमारा रब हमें उससे फिर मिला देगा, इंशा अल्लाह !
अनवर जी आपने अपना दुःख हमें बताया वास्तव में ये लगा की हम सभी एक परिवार के सदस्य हैं हमें भी ये जानकर बहुत दुःख हुआ. खुदा आपकी ये इच्छा अवश्य पूरी करेगा.हम सभी आपके दुःख में आपके पूरी तरह से साथ हैं .
@ शालिनी जी ! शुक्रिया ।
आप इस बारे में मज़ीद जानकारी के लिए देखिए मेरी यह पोस्ट
कितने ही लोग अपने होने वाले बच्चों को मात्र इस कारण से मार डालते हैं कि वे अपाहिज क्यों हैं ?
अच्छा कतआ ....
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