ग़ज़ल -सतपाल ख़याल
-
आंख में तैर गये बीते ज़माने कितने
याद आये हैं मुझे यार पुराने कितने
चंद दानों के लिए क़ैद हुई है चिड़िया
ए शिकारी ये तेरे जाल पुराने कितने
ढल गया दर्द मे...
मेरा वज़ूद ऐसा है !
-
[image: rg]
मेरे दुश्मन को है खलता , मेरा वज़ूद ऐसा है ,
गिराने से नहीं गिरता , मेरा वज़ूद ऐसा है !
दिलों में बस गया है जो ,फकत इक नाम ऐसा है ,
मिटाने से नहीं ...
दज्जाल के रंगरूट
-
दज्जाल आया। मुल्क तबाह किए। कठपुतली सरकारें बिठाईं और चल दिया। जाने से पहले
रंगरूट भर्ती किए उन्हें ट्रेनिंग दी। वे रंगरूट ट्रेनिंग पाकर पुरानी सरकार
के सम...
आओ, सब मिलकर बस प्यार करें.
-
कुल्लु नफ्सिन ज़ायक़तुल मौत -आल-क़ुर्'आन
हर जान को मौत का ज़ायक़ा चखना है.
और
इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैहि राजिऊन.
हम सब अल्लाह के हैं और हमें उसी की तरफ लौ...
कौन इसकी परवाह करे
-
*मेरा हबीब है रकीब के जैसा *
*कौन मुझे आगाह करे*
*दिल का मसला ज़ालिम के जैसा *
*कौन इसकी परवाह करे *
*परवाना जल के मर जायेगा *
*कौन उसे आगाह करे *
*इश्क क...
12 comments:
तुम्हारे दम से है वुजूद हमारा
जो तुम न होते यहाँ क्या होता
काश ! हम न होते
तो यहाँ कुछ भी न होता
yah sabse sahi kaha vandna ji.aabhar.
हम हे और हम से है जमाना
जब हम ही नही तो ,क्या है !
एक अच्छी भावपूर्ण प्रस्तुति ..
वाह ! बहुत खूब , मुकर्रर इरशाद. सुबहानल्लाह
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
वन्दना जी को यहाँ देखकर बहुत अच्छा लगा!
मैं इनका मुशायरे में इस्तकबाल करता हूँ!
waah ! umda !
काश! ये होता ,काश! ये न होता
जिंदगी इस काश में ही उलझ कर रह जाती है !
काश ! हम न होते
तो यहाँ कुछ भी न होता
आनंद आ गया अल्पना मैम ! :-))
शुभकामनायें आपको !
काश ..... बहुत उलझाने वाला शब्द ...काश यह काश ही न होता :)
काश ! हम न होते
तो यहाँ कुछ भी न होता..
बहुत खूब !
क्या बात ! खूब बढ़िया लिखा है आपने वंदना जी. बधाई.
काश ! आप ना लिखतीं तो ये सब हमें फिर कैसे पढ़ने को नसीब होता :)
काश शब्द न होते
यह काश न होता
कहीं कुछ बकवास न होता,
बस आकाश ही आकाश होता ॥
Post a Comment