इस शहर में आगये होशियार रहना |
यह शहर है यार कुछ होशियार रहना |
इस शहर में घूमते हैं हर तरफ ही,
मौत के साए तुम होशियार रहना |
घूमते हैं खट खटाते अर्गलायें,
खोलना मत द्वार बस होशियार रहना |
एक दर्ज़न श्वान थे और चार चौकीदार,
हो गया है क़त्ल अब होशियार रहना |
अब न बागों में चहल कदमी को जाना,
हो रहा व्यभिचार तुम होशियार रहना |
सज संवर के अब न जाना साथ उनके,
खींच लेते हार सब होशियार रहना |
चोर की करने शिकायत आप थाने जारहे,
पी चुके सब चाय अब होशियार रहना |
क्षत- विक्षत जो लाश चौराहे पर मिली ,
काम आदम खोर सा होशियार रहना |
वह नहीं था बाघ आदमखोर यारो,
आदमी था श्याम, तुम होशियार रहना ||
3 comments:
वह नहीं था बाघ आदमखोर यारो,
आदमी था श्याम, तुम होशियार रहना ||
sahi kaha shayam ji aapne.
karne chale ho agar mushayera me tippani ,
gazal ho shyam ji ki to hoshiyar rahna.
वो नहीं था बाघ आदमखोर यारों ,
आदमी था ,श्याम तुम होश्यार रहना ।
ये शहर है तुम जरा होश्यार रहना ।
कुछ न सुनना ,कुछ न कहना ,
बा -खबर होश्यार रहाना ,
श्याम तुम होश्यार रहना .
धन्यवाद शालिनी जी व वीरूभाई...
आदमी के वेश में घूमते हैं बाघ भी,
देखना सुनना जरा होशियार रहना ॥
Post a Comment