मग़रिबी मुल्कों के दाँव की ये साज़िश है
अहले मशरिक़ को आपस ही में लड़ाया जाए
ख़ुद तो महफ़ूज़ रहें, एशिया अफ़्रीक़ा को
तीसरी जंग का मैदान बनाया जाए
-असद रज़ा
asadrnaqvi@yahoo.co.in
शब्दार्थ
मग़रिबी मुल्कों - पश्चिमी देशों
अहले मशरिक़ - पूर्वी देशों के निवासी
महफ़ूज़ - सुरक्षित
ग़ज़ल -सतपाल ख़याल
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आंख में तैर गये बीते ज़माने कितने
याद आये हैं मुझे यार पुराने कितने
चंद दानों के लिए क़ैद हुई है चिड़िया
ए शिकारी ये तेरे जाल पुराने कितने
ढल गया दर्द मे...
4 weeks ago
4 comments:
ये भी साजिश का हिस्सा है कि यह कहा जा रहा है कि पश्चिमी मुल्क पूर्वी देशों को आपस में लड़ा कर अपना मसला हल करना चाह रहे हैं। वास्तव में यह पूंजीवाद-साम्राज्यवाद की साजिश है। पश्चिमी देशों की जनता भी इस के विरुद्ध लड़ रही है। जब हम पश्चिमी देश कहते हैं तो बहुत से उन देशों और लोगों को भी उस साजिश में शामिल कर लेते हैं जो खुद उस साजिश के खिलाफ हैं। इस तरह हम साजिश के विरुद्ध अपनी लड़ाई को कमजोर करते हैं।
@ मान्यवर , यह सही है कि पश्चिमी देशों की जनता भी मुखर विरोध करती है और कुछ पश्चिमी देश भी विरोध करते हैं लेकिन उनका सम्मिलित विरोध भी इराक़ पर नाटो देशों के अकारण हमले को न रोक पाया।
पश्चिमी देशों की साज़िश से तात्पर्य इन्हीं आतंकवादी देशों की साज़िश से है। इनकी नीतियाँ पूर्वी देशों के लिए बरबादी का कारण बन रही हैं ।
इसके लिए एशिया और अफ़्रीक़ा को मिलकर सोचना चाहिए ।
धन्यवाद !
ज़नाब के ब्लॉग पे आके उर्दू शब्द कोष में इजाफा ही होगा .हम आयेंगें ज़रूर आयेंगें .आपने जो कुछ कहा उसमें सत्य का अंश ज़रूर है पूर्ण सत्य हो यह ज़रूरी भी नहीं .
bahut khoobsurati se aapne bahut badi bat kahdee asad ji.satya se bharpoor.
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