दुनिया से तीरगी को मिटाने के वास्ते
खा के गले पे तीर भी हंसना पड़ा मुझे
बस्ती में इंक़लाब को लाने के वास्ते
लो, फिर से आ गयी हैं ये नाज़ुक सी तितलियाँ
फूलों से खुशबुओं को चुराने के वास्ते
फिर से मेरे लहू की ज़ुरूरत पड़ी उसे
बुझते हुए चराग़ जलाने के वास्ते
कल रात उसने सारे खतों को जला दिया
मेरा ख़याल दिल से मिटाने के वास्ते
'अख्तर' वफ़ा के साथ में ख़ूने जिगर भी हो
रिश्ता मुहब्बतों का निभाने के वास्ते
डा. फहीम 'अख्तर' संभली
चौधरी सराय , संभल , उत्तर प्रदेश
शब्दार्थ : तीरगी-अंधेरा , इंक़लाब-क्रांति
शब्दार्थ : तीरगी-अंधेरा , इंक़लाब-क्रांति
यह ग़ज़ल आज चौ. चरण सिंह सहकारिता भवन, लखनऊ में संपन्न तालीमी सेमीनार में पेश हुई तो इसे हमने आपके लिए तहरीर कर ली.
इस मौक़े हमें और जनाब सलीम खान साहब को ब्लॉगिंग में अलग अलग खिदमतें अंजाम देने के लिए बेस्ट ब्लॉगर का अवार्ड देकर सम्मानित भी किया गया . अभी अभी सेमीनार मुकम्मल हुआ .
प्रोग्राम के फोटो आ जाएँ तो आपको दिखाता हूँ जल्द ही.
प्रोग्राम के फोटो आ जाएँ तो आपको दिखाता हूँ जल्द ही.
प्रोग्राम कामयाब रहा . अल्हम्दुलिल्लाह.
डा. अनवर जमाल सभा को संबोधित करते हुए |
14 comments:
फहीम अख़्तर संभली की बहुत शानदार गजल है!
इसे पढ़वाने के लिए आभार!
Bahut hi sundar gajal pesh ki hai appne dhanyawad
bahut badhia
वाह ! बहुत खूब , मुकर्रर इरशाद. सुबहानल्लाह.
ye to gazal ke liye par prastut karne vale ko bahut bahut shukriya is liye ki vastav me aap blogging ko poori tarah se samarpit vyaktitva hain.
बहुत अच्छी ग़ज़ल. मुबारक.
waah waah...
kaash main bhi apni koi gazal yahaan pesh kar pata
बेहद सुंदर गजल है ---तारीफे काबिल !
dr.sahab saleem ji ko to best blogar ka samman mila hai lekin samjh me nahi aaya ki aapko kis bat ka puruskar mila hai.batana to chahiye tha.chaliye kuchh nahi badhai to ham aapko de hi sakte hain saleem ji ko bhi hamari aur se bahut bahut badhai.
खा के गले पे तीर भी हंसना पड़ा मुझे
बस्ती में इंक़लाब को लाने के वास्ते
क़ाबिले दाद शेर है.वाह क्या बात है.
बेस्ट ब्लोगर पुरस्कार की बधाई ,सलीम भाई को.
ऐसे शेर मुशायरा ब्लॉग के शीर्षक को सार्थक करते हैं.
@ शालिनी जी ! यहाँ संक्षिप्त रिपोर्ट है . विस्तृत रिपोर्ट के लिए आपको पोस्ट में दिए गए लिंक पर जाना होगा तब आप जान जाएँगी कि हमें किस बात के लिए इनाम से नवाज़ा गया ?
बधाई के लिए शुक्रिया .
लखनऊ से अनवर जमाल .
लखनऊ में आज सम्मानित किए गए सलीम ख़ान और अनवर जमाल Best Blogger
@ @ कुसुमेश जी आपकी दाद हौसला बढाती है . इस वक़्त इन्क़लाबी शायर जनाब अनवर फ़रीदी साहब भी इस पोस्ट पर आपके और दुसरे लोगों के कमेंट्स पढ़ रहे हैं .
मैं चाहता हूँ कि वे भी हमारे साथ आयें और हमारी महफ़िल की रौनक बढ़ाएं. उनका कलाम भी मैं आपके सामने पेश करूँगा जल्द ही.
शुक्रिया.
बहुत अच्छी ग़ज़ल.
अनवर जी और सलीम भाई को पुरूस्कार मिलने पर हार्दिक बधाइंया
बेहद सुंदर गजल है बधाई एवं शुभकामनाएँ.
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